दूर सागर से आयी एक लहर
दूर सागर से आयी एक लहर..!
छा गई धरती पर बनकर कहर .....!
मचा हाहाकार.... ! धरती डोली
मानव क्या चिडिया भी न बोली ॥!
एक थी लहर नाम था सुनामी
एक थी लहर नाम था सुनामी ....!
बनाकर कहर व्दिपो पर छाई
मानवता एक आँसू भी ना बहा पाई ...!
सुनामियोकी पीडा बना गई एक नासूर ... !
सोचा न था ...! मानवता होगी इतनी मजबूर ॥!
बचपन कितने बह गए ..!
आशाए कितनी ढह गई ...!
कुदरत का कहर फ़िर न आए कभी...!
हे मानवता॥! जाग जा अभी ...! जाग जा अभी॥!
रेखा जगताप
(sunamichya tisarya diwashi )
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