Saturday, June 21, 2008

सुनामी लहरे




दूर सागर से आयी एक लहर

दूर सागर से आयी एक लहर..!

छा गई धरती पर बनकर कहर .....!

मचा हाहाकार.... ! धरती डोली

मानव क्या चिडिया भी न बोली ॥!

एक थी लहर नाम था सुनामी

एक थी लहर नाम था सुनामी ....!

बनाकर कहर व्दिपो पर छाई

मानवता एक आँसू भी ना बहा पाई ...!

सुनामियोकी पीडा बना गई एक नासूर ... !

सोचा न था ...! मानवता होगी इतनी मजबूर ॥!

बचपन कितने बह गए ..!

आशाए कितनी ढह गई ...!

कुदरत का कहर फ़िर न आए कभी...!

हे मानवता॥! जाग जा अभी ...! जाग जा अभी॥!




रेखा जगताप
(sunamichya tisarya diwashi )

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